[21st Article] झोपड़ी में आती है देवी | आदिवासियों द्वारा विशेष मंत्र का जाप किया जाता है | झोपड़ी में देवी के पद चिन्ह दिखाई देते हैं | देवी के आने के बाद कोई भी व्यक्ति झोपड़ी के अंदर नहीं जा सकता | पूर्वजों की परंपरा निभा रहे हैं आदिवासी | छत्तीसगढ़ की पावन धरती पर देवी के आने का प्रमाण | सभी को एडवांस में नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं #2024 | आज पढ़िए एक विचित्र जानकारी | आर्टिकल को करते जाइए जितना हो सके शेयर सोशल मीडिया में | 🙋♂
एडवांस में नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
(21st Article) 🎯 🙋♂ 📌
Article Written By - Ayush Kumar Soni
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छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासियों का एक गांव गांव के लोग नवरात्र में देवी दुर्गा को एक झोपड़ी में साक्षात बुलाने का करते हैं दावा | कोई भी व्यक्ति देवी दुर्गा के आने के बाद झोपड़ी के अंदर नहीं जा सकता झोपड़ी में दो कलश रखे जाते हैं | देवी दुर्गा के आने के बाद झोपड़ी के अंदर सिंदूर यहां वहां दिखाई देते हैं साथ ही पैरों के निशान भी दिखाई देते हैं आज जानिए बस्तर के एक विचित्र चमत्कार के बारे में इसके बारे में अपने ना सुना होगा ना पढ़ा होगा ना इसके बारे में इंटरनेट में कहीं पढ़ा होगा
(Welcome to My 21st Article) 🎯
सर्वप्रथम आप सभी को एडवांस में नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं भगवान करे आप सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहे आप हंसते रहें मुस्कुराते रहें दुख तकलीफ किसी को ना हो सभी नया साल एक उमंग लेकर आता है एक उत्साह लेकर आता है एक जुनून लेकर आता है मैं आयुष कुमार सोनी आप सभी को एक विचित्र जानकारी देता हूं ध्यान से पढ़िए...
आप सभी ने बस्तर के आदिवासियों की संस्कृति उनका पहनावा कभी ना कभी विभिन्न कार्यक्रमों में देखा होगा इंटरनेट में भी बस्तर के आदिवासियों की कलाकृतियां विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हुई है छत्तीसगढ़ सरकार ने बहुत ही मेहनत करके छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बचाया है इसके लिए सरकार का हृदय से धन्यवाद क्योंकि हमें अपनी संस्कृति की रक्षा करनी होगी यह सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है
लेकिन बस्तर में दंतेवाड़ा के अंदर काफी अलग शहर की आबादी से दूर यहां आदिवासियों का एक निवास स्थान है जंगलों पर ही निर्भर होते हैं ना इनको टेक्नोलॉजी से मतलब है ना हमारे अन्य कामों से यह सिर्फ जंगल में रहते हैं जंगल में ही अपना जीवन यापन करते हैं TV9 भारतवर्ष में एक प्रोग्राम आता है दृश्यम करके जब यहां की टीम दंतेवाड़ा गई तो बस्तर के इन आदिवासियों को देखकर वह भी चौंक गई उनका पहनावा एवं उनकी वेशभूषा बेहद ही चौंकाने वाली थी प्राकृतिक चीजों के अंतर्गत समस्त चीजों का इस्तेमाल आदिवासी बेहद अच्छे से जानते हैं उनको विभिन्न विभिन्न औजार बनाने भी आते हैं प्राकृतिक चीजों से अपने घर की छत को इतना अच्छा से बनाते हैं कि सिविल इंजीनियर फेल हो जाएगा टीम थोड़ी जांच पड़ताल करती है हम सभी यह बात भली-भांति जानते हैं कि भगवान हमारे चारों ओर हैं हम पर नजर बनाए हुए हैं दरअसल नवरात्र में बस्तर के यहां इन आदिवासी लोगों को देवी की उपासना करनी पड़ती है
देवी को बुलाने के लिए कलश में तेल डाला जाता है पूरा भरा जाता है तेल से कलश को एवं करीब 7 8 घंटे तक विशेष पूजा की तैयारी करके कड़ी मेहनत से झोपड़ी को हाथों से बनाया जाता है आदिवासियों के द्वारा फिर कलश को झोपड़ी के अंदर रखा जाता है दो कलश में पूरा तेल भरकर झोपड़ी के दरवाजे को पूरी तरीके से बंद कर दिया जाता है इसके बाद कोई भी व्यक्ति अंदर नहीं जा सकता ना ही अंदर का नजारा देख सकता है सिर्फ दूर से ही झोपड़ी का दर्शन किया जाता है फिर शुरू होता है देवी को बुलाने का काम जो की बहुत रहस्य से भरा होता है देखने वाला डर जाएगा क्योंकि बहुत देर तक मंत्र तंत्र चलता रहता है बहुत सारे आदिवासी डांस करते हैं विशेष मंत्र का जाप होता है आदिवासी पूरे मन से देवी दुर्गा को झोपड़ी में बुलाने के लिए डांस करते हैं यह प्रक्रिया रात के 1:00 तक चलती है इसके बाद अपने स्थानीय भाषा में वह कुछ मंत्र पढ़ते हैं जिसको कोई सामान्य व्यक्ति समझ नहीं सकता क्योंकि उनकी भाषा बहुत अजीब रहती है
रात्रि के करीब 1:00 के बाद आदिवासी देवी को बुलाने के लिए देर तक मंत्र पढ़ते हैं लगातार मंत्र पढ़ते रहते हैं बिल्कुल नहीं रुकते हैं फिर करीब 1:30 पर अचानक झोपड़ी में कुछ हलचल होने लगती है बहुत सारी रोशनी एक साथ दिखाई देती है झोपड़ी में विभिन्न विभिन्न रंगों से यह कार्यक्रम गुलजार हो जाता है टीम की आंखें चौंक जाती है यह नजारा देखकर आदिवासियों के मुताबिक अब देवी आ चुकी है झोपड़ी में झोपड़ी में रहस्यमय रोशनी दिखाई देती है लेकिन कोई भी व्यक्ति कोई भी आदिवासी इस रोशनी को दूर से ही देख सकता है पास में जाकर झोपड़ी के अंदर कोई नहीं जा सकता इसकी सख्त पाबंदी होती है अगर किसी ने ऐसा किया तो आदिवासी उन्हें कड़ी सजा देते हैं वैसे भी झोपड़ी के आसपास दूर-दूर तक आदिवासियों का पहरा होता है परिंदा भी पर नहीं मार सकता टीम यह सब देखकर चौंक जाती है वैज्ञानिक कमरों की मदद से पड़ताल करती है आदिवासी बताते हैं कि अब देवी झोपड़ी में आ चुकी है और यह परंपरा हमारे पूर्वजों से कई 100 साल पहले से चली आ रही है अतः हम भी देवी को बुलाने का काम करते हैं फिर सुबह झोपड़ी के अंदर आदिवासी जाते हैं तो उनके साथ टीम भी जाती है टीम देखी है कि अंदर में कुछ सामान इधर-उधर बिखरे रहते हैं सिंदूर भी इधर-उधर बिखरा रहता है कलश अभी भी जलते रहता है और सबसे विचित्र बात देवी के पद चिन्ह दिखाई देते हैं जिन्हें टीम अपने विशेष उपकरणों की मदद से इसकी तस्वीर लेती है |
तो आपको यह आर्टिकल कैसा लगा जरूर बताइए पुनः आप सभी लोगों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं यह वर्ष आपके लिए बेहद ही अच्छा हो आपको किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो और आप सब प्रकृति की रक्षा करें यह संकल्प ले इस नव वर्ष में आज हम देखते हैं कि हमारा जीवन इतना व्यस्तता से भर गया है हम प्रकृति के बारे में नहीं सोचते जबकि प्रकृति हमें बहुत कुछ देती है प्रकृति के बिना हम जी नहीं सकते प्रकृति के बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते इसीलिए प्रकृति को बचाना हमारी जिम्मेदारी है इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए क्योंकि यह जानकारी विचित्र जानकारी है इसीलिए हमने इस आर्टिकल को अपने वेबसाइट पर पब्लिश किया है |
पवन पुत्र हनुमान की जय 🙏
बोलो बजरंगबली की जय 🙏
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